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होली पर बजट का रंग

vidushak
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वित्तमंत्री पर दबाव था। राजकोषीय घाटा यानी राज्य के खजाने में घाटा कम करने का।
वे फागुन का महीना होने के बावजूद पूरी गंभीरता से चारों तरफ दिमाग दौड़ा रहे थे, कि कहां-कहां और टैक्स लगाकर राजस्व यानी सरकारी कमाई बढ़ाई जाय? क्या रिश्वतखोरी को कानूनी जामा पहनाकर हैवी टैक्स लगा दिया जाए? क्या विदेशों को ड्रग्स तस्करी करने वालों पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी जाए? क्या नकली माल बनाने वालों से महसूल वसूल कर कुछ असली माल बनाने वालों को दे दिया जाय और कुछ सरकार की झोली में डाल दिया जाय। वितमंत्री का स्पष्ट मानना था कि ये अपराध रुकने वाले नहीं, इन्हें रोकने के नाम पर संसाधनों की फिजूलखर्ची हो रही है, सो अलग। ऐसे ही हालात में एक पूर्व वित्तमंत्री द्वारा काली कमाई पचास फीसदी टैक्स चुकाकर सफेद कराने संबंधी बनाए गए कानून को वह मिसाल के तौर पर पेश करते हैं।

तभी उन्हें लकड़ी और पानी की बर्बादी करने वाले खुराफातियों के त्योहार होली का ख्याल आया। उन्हें इस बर्बादी पर लगाम लगाकर प्रगतिशीलों की वाहवाही लूटने के साथ ही टैक्स का नया स्रोत भी मिल गया। वित्तमंत्री ने यह तकनीकी और अर्थशास्त्रीय दलील देते हुए कि होली लक्जरी पर्व है, इसे आवश्यक पर्व नहीं माना जा सकता है, होली को टैक्स के रंग से सराबोर करने की अपनी तजवीज को अमली जामा पहना दिया।

वित्तमंत्री ने अलग-अलग मद में टैक्स की अलग-अलग दरें तय कर दी। राजस्व उगाही का जिक्र हो तो सरकारों की जुबान पर सबसे पहले शराब ही चढ़ती है। लिहाजा उन्होंने होली से एक हफ्ते पहले तक शराब की खरीदारी पर दस फीसदी सरचार्ज लगाने का फैसला किया। इस मद से होने वाली आय को नशा मुक्ति अभियान पर खर्च करने का बजट में प्रावधान किया गया। बजट भाषण में वित्तमंत्री के इस उल्लेख पर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने ही भारी मन से ही सही लेकिन मेजें थपथपाकर स्वागत किया।

बजट भाषण में अब बारी आई होली के रंगों की। रंग जीवन और राजनीति दोनों में रंग दिखाते हैं। किसी के चेहरे पर चढ़ते हैं तो खिलते हैं तो किसी-किसी के चेहरे का रंग ही उड़ा देते हैं। होली में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले लाल रंग को देश और देशवासियों के ‘सामाजिक स्वास्थ्य’ के लिए सबसे ज्यादा प्रतिकूल मानते हुए इस पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाया गया। सदन के कुछ सदस्य तो इस पर पूरी तरह पाबंदी लगाने और देश भर में छापे मारकर पूरा का पूरा लाल रंग जब्त कर उसे बंगाल की खाड़ी में फेंकने की मांग करके शोर तक मचाने लगे-एटा बड़ो विपदजनक कलार, निश्चोय बंदो होक।दबाव में आए सत्तापक्ष ने होली पर लाल रंग से परहेज करने की देशवासियों के नाम एडवाइजरी जारी कर दी।

फिर नंबर आया नीले रंग का। सदन में जय भीम-जय भारत के नारे लगाते हुए तमाम सदस्य खड़े होकर मांग करने लगे कि खबरदार जो इस पर टैक्स लगाने की सोची भी गई, इसकी खरीद पर तो सरकार को सब्सिडी देनी चाहिए। इस रंग की संवेदनशीलता और किसी अन्य रंग से सियासी मिश्रण की संभावनाओं के मद्देनजर इस पर मामूली टैक्स लगाकर भविष्य में पुनर्विचार की बात कह कर छोड़ दिया गया। हरे रंग को वित्तमंत्री ने सदभाव का प्रतीक बताकर इसके उत्पादन पर उत्पाद कर से छूट देने की घोषणा की तो एक विशेष रंग वाली पार्टी ने सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।

इतने टैक्स के बावजूद राजकोषीय घाटा अभी भी बरकरार था और होली में भी खजाना भरने की संभावनाएं बाकी थीं। अब नंबर आया हुलियारों का। गली-गली, मुहल्ले-मुहल्ले लगने वाली होलिकाओं और उनमें स्वाहा होने वाली लकड़ी को ग्लोबल वार्मिंग और जंगलों के विनाश के लिए जिम्मेदार मानते हुए वित्तमंत्री ने इसे हतोत्साहित करने का संकल्प दुहराया और लकड़ी की सीमित मात्रा से ज्यादा की खरीद को सेवाकर के दायरे में ला दिया। आर्यावर्त्त की प्राचीन और सनातन परंपराओं से खिलवाड़ बताते हुए विपक्ष के एक धड़े ने इसके खिलाफ बजट की होली जलाने का संकल्प लेते हुए सदन से दुबारा बहिर्गमन किया।

बीच-बीच की टोकाटाकी के दौरान बारहवीं बार पानी पीते हुए वित्तमंत्री ने फिर से बजट भाषण शुरू किया और रंग खेलने पर किस वर्ग पर कितना टैक्स लगेगा, इसका ब्यौरा पेश किया। उन्होंने सूखते जल स्रोतों और गिरते भूगर्भ जल स्तर के आंकड़े पेश करते हुए जल संरक्षण का सरकारी संकल्प दोहराया और पानी की बर्बादी रोकने के लिए टैक्स के नए स्लैब पेश किए। उन्होंने बताया कि बीपीएल कार्डधारकों को होली टैक्स से मुक्त रखा जाएगा लेकिन सूखे रंगों की जगह रासायनिक रंग से होली खेलने वालों को टैक्स चुकाना होगा। विकलांगों और सीनियर सिटीजंस से होली खेलने पर आयकर में छूट का प्रावधान किया गया। सरकार ने १२ बजे के बाद निश्चित कर चुकाने पर होली खेलने की छूट देने का भी निश्चय किया। हर दो-दो घंटे के स्लैब और उनकी फीस तय कर दी गई।

गुझिया को सिंथेटिक खोये के उत्पादन के लिए सबसे बड़ा कारण मानते हुए मैदा पर उत्पाद कर बढ़ा दिया गया। खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर पापड़ और चिप्स जैसे चटोरों के आइटम्स पर भी सरचार्च लगा दिया गया। अपनी पार्टी का सर्व शक्तिमान पद महिला द्वारा सुशोभित किए जाने का ख्याल करते हुए होली खेलने पर टैक्स से महिलाओं को छूट दी गई। हालांकि विपक्ष ने वित्तमंत्री के इस फैसले का यह कहकर विरोध किया कि अगल महिलाएं ही होली न खेलें तो होली पर तो अपने-आप ही काफी हद तक अंकुश लग जाएगा और हुलियारों को सरकार से नहीं, महिलाओं से सबसे बड़ा हतोत्साहन मिलना चाहिए।

वित्तमंत्री ने युवतियों से छेड़खानी करने वालों पर टैक्स लगाने की अपनी युवा बेटी की सिफारिश को सिरोधार्य किया और छेड़खानी की प्रकृति का ख्याल करते हुए अलग-अलग स्लैब बना दिए। उन्होंने कहा कि इससे पुलिस पर से भी मुकदमों का भार कम होगा। वित्तमंत्री के वित्त विधेयक पर अब चर्चा की तरफ सभी का ध्यान लगा है।

 -विजय त्रिपाठी

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